साथ चलो न
साथ चलो न
मैं जब कहूं, तब तुम मुझसे बात करो,
मैं जब तुम्हें याद करूं, तब तुम मुझे याद करो,
इकतरफा इश्क़ रह गया क्या अब हमारा?
मैं अपनी ज़िंदगी बर्बाद करूं?
तुम अपनी ज़िंदगी आबाद करो?
मेरे रोज़ के ताने भी हो रहें अब बेअसर,
मेरी आज भी आरज़ू वही कि
कभी तो तुम भी फरियाद करो।
"ऐसी बात नहीं है" हर बार कहकर,
तुम पल्ला अपना मत झाड़ो,
मेरे आने की आहट सुनने को,
तुम भी हर पल मेरी राह ताड़ो।
मैं कर दूं तुम्हें फिर अनसुना,
जैसा कि तुम हर बार करते हो,
राह अलग कर ली है तो फिर,
ये कहने से क्यों डरते हो?
मुझे यूं नज़र-अंदाज करके
क्यों मेरी नज़र से उतरते हो?
मेरे नहीं रहे अब तो चलो कोई बात नहीं,
पर दूसरे के साथ तुम मुझे आज भी अखरते हो।

