STORYMIRROR

S D

Romance

4  

S D

Romance

शिकवा शिकायत

शिकवा शिकायत

1 min
325

यह क्या बात हुई भला,

न दूर जाने देते हों, 

न करीब आते हो।

अजीब सा यह खेल है तुम्हारा ,

अरे जनाब...बच्चे भी अक्सर छोड़ देते है 

टूटे हुए खिलौने से खेलना ।


पर तुम तो इस टूटें हुए दिल पर

सितम पर सितम ढा रहे हों ।

शायद मेरे लिए इस ज़माने का

दर्द कुछ कम लगा होगा ,

जो इस कदर कहर बन बरस रहे हों ।


माना कि तुम्हारा हमारा मिलन 

इत्तफाक है ,

पर जनाब... कुछ तो उस ऊपर वाले ने

भी सोचा होगा ।


चलो छोड़ देते हैं ..यह शिकवा शिकायत ,

इस के अलावा कर भी क्या सकते हैं ।

क्यों कि जब भी चाहा अपने जज्बातों को 

बयां करना,

कमबख्त सारे अल्फाज़ 

कहीं ओर चलें जाते हैं।


इस लिए ....छोड़ो .. जनाब,

जो दिल में है 

उसे यूंही दिल में ही रहने देते हैं ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance