हमसफ़र
हमसफ़र
सुनो ना मेरे हमसफ़र,
तुम्हें है क्या कुछ खबर
चले क्या दूर तुम गए
जैसे हमें भूल गए।
बताएं क्या अपना दिल का हाल
धड़कती है जरूर,
पर अब वह बेताबियां नहीं रही।
सांसे चलती है मगर
मन खत्म हो गई ।
जो जिम्मेदारियां थी हमारी
आज वह सिर्फ मेरी बन कर रह गई।
नहीं है कोई शिकवा,
तुम तो चले गए
पर मैं कहीं नहीं गईं।
शिकवा है तो सिर्फ इस बात का
जिस्मानी तौर पर ना सही
पर कभी कभी सपनों में मुझसे मिलने आया करो।
मुझे है एहसास
तुम हो मेरे हर पल पास
हर मुश्किल में
जो तुम ही मुझे संभालते हो
ऐसे साथ देते रहना हमसफर,
पर आज एक वादा करो मुझसे
अगले जन्म में फिर बनोगे मेरे हमसफर।
तब तुम मुझे छोड़कर जाना नहीं कहीं ओर
