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Preeti Chaudhary

Romance

3.1  

Preeti Chaudhary

Romance

बरसात

बरसात

1 min
23K


व्योम से धरा के तन पर बरसात हो रही है,

 हृदय मुग्ध करने वाली कायनात हो रही है।


खुशी निकट है, दुःख हमसे दूर हो रहा है।

नृत्य करने को अधीर मन मयूर हो रहा है,

धड़कनों का संगीत है मद्धम मद्धम प्रियवर,

 उर में नूपुर की झंकार दिन-रात हो रही है।

व्योम से धरा के तन पर बरसात हो रही है।


प्रिय के सानिध्य को व्याकुल है हृदय,

रौशन हो रही है प्रीत से, हर एक शय,

प्रेम ने असंख्य दीप जलाये हैं पथ पर,

 तारिकाओं से जगमग हर रात हो रही है।

व्योम से धरा के तन पर बरसात हो रही है।


जग न सुन ले प्रियतम हृदय स्पंदन का शोर,

आलिंगन में प्रेम के है सुखद सी एक भोर,

प्रेम की संवाद शैली भी है बहुत निराली,

अधर हैं निःशब्द, नयनों से बात हो रही है।

व्योम से धरा के तन पर बरसात हो रही है।


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