मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ


मैं सुंदर विदुषी नारी हूँ,
मधु उपवन की फुलवारी हूँ।
मैं ही हूँ सृष्टि की वाहक,
अन्नपूर्णा कुटुंब की पालक,
गृह की कुशल संचालक,
अँधरी रात्रि की उजियारी हूँ।
मैं सुंदर विदुषी नारी हूँ...
भावों की अनुपम माला हूँ,
माना सुकोमल बाला हूँ,
मैं चंडी भी हूँ ज्वाला हूँ,
पापी के लिए वज्र कटारी हूँ।
मैं सुंदर विदुषी नारी हूँ...
अग्निपरीक्षा से गुजरी हूँ बार-बार,
मैं फूलों और शूलों का हार,
वंदनीय मेरा रूप श्रृंगार,
मैं अकेली दुष्टों पर भारी हूँ।
म
ैं सुंदर विदुषी नारी हूँ...
मैं अहिल्या मैं ही सीता हूँ,
मैं पवित्र पावनी गीता हूँ,
मैं शेरनी मैं ही चीता हूँ,
पुरुषों से कब मैं हारी हूँ?
मैं सुंदर विदुषी नारी हूँ...
मैं आशाओं का सावन हूँ,
मैं परिवार का गृह-आँगन हूँ,
मनमोहिनी मनभावन हूँ,
नव प्रसूनों की क्यारी हूँ।
मैं सुंदर विदुषी नारी हूँ...
मैं इस समाज का जीवन हूँ,
बालक के लिए स्नेह घन हूँ,
सर्द रातों की जैसे अगन हूँ,
उद्यान की फुलवारी हूँ।
मैं सुंदर विदुषी नारी हूँ...!