बरसात बुला लेता है
बरसात बुला लेता है
गर बीनाई तेज़ न हो तो आँख चुरा लेता है
दूर से पहले जो नज़दीकी चीज़ उठा लेता है
नाव बचानी हो तो सैलाब नहीं देखे जाते
हाथ बढ़ाना हो जिसने वो हाथ बढ़ा लेता है
उसकी हर आवाज़ खनक ऐसी पैदा करती है
वो जब चाहे सहरा में बरसात बुला लेता है।

