ख़ुद को ऐसे साबित करना पड़ता है
ख़ुद को ऐसे साबित करना पड़ता है
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ख़ुद को ऐसे साबित करना पड़ता है
जूं पानी से आग जलाना पड़ता है
लोगों को बस ख़ार नज़र ही आते हैं
इस ख़ातिर भी फूल उगाना पड़ता है
और किसी को पाने से पहले यारा
अंदर - अंदर ख़ुद को पाना पड़ता है
रफ्ता रफ्ता तुझ तक आ सकता हूं पर
मेरे रस्ते एक ज़माना पड़ता है
बस एक ग़ज़ल की ख़ातिर हम ऐसों को
ख़ामोशी में पहरों रहना पड़ता है।
