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Samar Pradeep

Others

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Samar Pradeep

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मेरी आँखों की बीनाई न चली जाए

मेरी आँखों की बीनाई न चली जाए

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मेरी आँखों की बीनाई न चली जाए

न चमक यूँ के ये आसानी न चली जाए


मेरी ख्वाहिश है तुझ को छू लूं इक दिन

और ये डर है तू मुरझाती न चली जाए


न कदम रख इस तन्हा घर में मेरे

न कदम रख के तन्हाई न चली जाए


यूं भी रूठ न जाए मेरा साया मुझसे

धूप न भी हो तो परछाई न चली जाए


सारी उम्र लगी दिल को यकजा करने में

संभल ऐ दिल अब यकजाई न चली जाए


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