मेरी आँखों की बीनाई न चली जाए
मेरी आँखों की बीनाई न चली जाए
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मेरी आँखों की बीनाई न चली जाए
न चमक यूँ के ये आसानी न चली जाए
मेरी ख्वाहिश है तुझ को छू लूं इक दिन
और ये डर है तू मुरझाती न चली जाए
न कदम रख इस तन्हा घर में मेरे
न कदम रख के तन्हाई न चली जाए
यूं भी रूठ न जाए मेरा साया मुझसे
धूप न भी हो तो परछाई न चली जाए
सारी उम्र लगी दिल को यकजा करने में
संभल ऐ दिल अब यकजाई न चली जाए
