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Samar Pradeep

Others

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Samar Pradeep

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रात है

रात है

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तीरगी है , ख़ामुशी है , रात है

इश्क़ है, हाँ आशिक़ी है, रात है


सोचता हूँ जुगनूओं को देख कर

खुल गई जब हथकड़ी है, रात है


देख कर दुनिया मिरी सब ने कहा

रात ही है , वाक़ई है, रात है


इस किनारे मैं खड़ा हूँ और फिर

उस किनारे जलपरी है, रात है


नाख़ुदा सुनता नहीं कहना मिरा

कह रहा है वापसी है, रात है।


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