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Vinod Kumar Mishra

Children Drama

5.0  

Vinod Kumar Mishra

Children Drama

बँड़वा नाला

बँड़वा नाला

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बड़ा सलोना जीवन था वह, जब गली-गली याराना था

काँधे पर झोला लटकाये, शाला को दौड़ लगाता था

पगडंडी पकड़े जाता था, बहता मग छिछला नाला था

बारिश का मौसम जब झूमा, नाला तब बँड़वा नाला था।


शाला चलें कि लौट चलें घर, यारों संग बात चलाया था

तब तक घंटी टन टन बाजी, टोली का मन घबराया था

ऐसे में 'वीनू' कूद पड़ा, धारा में अब धाराधर था

यार सभी घबराये इतना, सन्नाटा पसरा किनारे था।


इतने में झरबेरी टहनी, सम्मुख वह अपने पाया था

किस्मत ने फिर रंग दिखाया, विपरीत मिला जो किनारा था

टोली चहकी सजल नयन, धाराधर आया सम्मुख था

जब तक नाला छिछला होता, पठ् धातु रूप रट डाला था।


बँड़वा नाला शांत हुआ जब, सहमा सा विद्यालय पहुँचा था

सिंह गर्जना गुरुवर की सुन, टोली का हिय काँप गया था

धाराधर को आगे करके, बँड़वा नाला दर्शाया था

फिर एक-एक कर गुरुवर को, सबने तब रूप सुनाया था।


शैतान नहीं मैं कुम्हार हूँ, भावुक गुरुवर ने जताया था

बँड़वा नाला पार न करना, यह बार-बार समझाया था

विद्यार्थी जीवन में शिक्षा का, असली मंत्र वहीं पाया था

गुरु महिमा जगती अमर रहे, आशीष गुरु का छाया था।।


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