Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Anupama Chauhan

Children Stories Fantasy Children

4.3  

Anupama Chauhan

Children Stories Fantasy Children

बचपन की यादें

बचपन की यादें

1 min
298


वो बचपन ही कितना प्यारा था,

जब माँ की लोरी थी ,पिता का दुलार था।

रोटी भले ही सूखी खाते थे लेकिन,

एक छत के नीचे आपस में बहुत प्यार था।


वो तब मेहमानों के वापस जाते वक़्त,

मानों खुशियों का संसार मिल जाता था।

हमारे हाथों में चंद सिक्के क्या खनकते,

नन्हें कदमों की उछल-कूद से घर-द्वार हिल जाता था।


ये उस जमाने की बातें हैं जनाब,

जब कागज़ की नाव पानी में तैर जाती थी।

जब सामने बनी पानी की कीचड़ ,

हमें प्यार से अपनी ओर बुला लाती थी।


तब ये मोबाइल वाली बीमारी न थी,

हमें किताबों और पत्रिकाओं से सरोकार था।

तब गर्मी में तरबूज़ ककड़ी हुआ करते थे,

उस आम के पेड़ में मौर आने का इन्तज़ार था।


वो दादी नानी के किस्सों के क्या कहने,

जिनमें ज़िंदगी के मुश्किलों का सार था।

तब दिन गिना करते थे हफ्तों के,

तब कभी रविवार छुट्टी का ही वार था।


वो दिन भी क्या दिन थे यारों,

याद करो तो बस उनमें खो जाने का दिल करता है।

इन यादों को सँजो लेना ही तो ज़िंदगी है,

भला, बचपन जीने का अवसर कहाँ फ़िर से मिला करता है।


Rate this content
Log in