पापा...
पापा...
एक थके हुए से दिन के बाद
किसी उजली शाम से लगते हो
तुम हर रोज घर के दरवाजे पे
जब किसी दस्तक जैसे मिलते हो
पापा, जब तुम जल्दी घर आ ज़ाते हो ..
कुछ लम्हो में ही जैसे तुम
एक पूरा जीवन ज़ी ज़ाते हो
कितनी भी हो मुशकिल बस
कुछ पल में आसां कर देते हो
पापा, जब तुम घर जल्दी आ जाते हो
सब कुछ हमको देने के लिए तुम
रोज खुद से थोड़ा कम कर देते हो
मगर उस थोडे में भी तुम हमको
एक पूरा जहां सा लगते हो
पापा, जब तुम जल्दी घर आ ज़ाते
एक थके हुए से दिन के बाद
किसी उजली सुबह से लगते हो 'तुम'
पापा ..
