STORYMIRROR

Manjul Singh

Children Stories Fantasy Inspirational

4  

Manjul Singh

Children Stories Fantasy Inspirational

आँगन की गौरैया

आँगन की गौरैया

1 min
235

आज मैं पिंजरे में कैद हूँ !

और वापस लौट कर आ गयी है

मेरे आँगन की गौरैया

पर वो मुझसे बात नहीं करती


क्योंकि उसने दोस्ती कर ली

साफ़ पानी में रहने वाली कुछ मछलियों से

जो सीमित रहती है,

अपने हिस्से के साफ़ पानी में

वो बताती है उनको

मेरी कैद के बारे में हँस हँस कर


वो छोड़ कर चली गयी थी

मेरे आँगन को कई वर्षो पहले

दक्षिण की ओर


जहाँ कोई साफ़ आदमी उगता था

उसके लिए साफ़ दाने

लगाता था धोखा (पुतला)

जो तोलता था दाने

उस साफ़ आदमी और

मेरे आँगन की गौरैया के हिस्से के


मेरे आँगन की गौरैया ईमानदार थी

वह बस अपने हिस्से के दाने खाती और

बाकी छोड़ देती उस साफ़ आदमी के लिए


सुना था उसने किसी सारस से

कि उसका पैतृक घर है

उत्तर की ओर

तुम जाना जब 

बादल हो सच्चाई से ज्यादा साफ़


वो वापस आयी अपने पैतृक घर

मुझसे मिलने पर

बात नहीं करती मुझसे

वह अपने मोह को भंग कर बैठ जाती है

मेरे आँगन की दहलीज पर

और देखती है कि

आज मैं पिंजरे में कैद हूँ !


Rate this content
Log in