बिटिया
बिटिया
कुछ कहती हूँ नहीं,
वैसे तो चुपचाप रहती हूँ मैं,
तेरे घर के अंगना की चिड़िया हूँ मैं,
तेरी गोद की नन्ही - सी गुड़िया हूँ मैं,
बाबा, तेरी बिटिया हूँ मैं।
मुझे मारना क्यों चाहती थी,
जन्म से पहले ही पेट में।
मेरे जिस्म को क्यूँ चढ़ाना चाहती थी,
मौत की भेंट में।
आखिर तेरी नन्ही - सी गुड़िया हूँ मैं।
माँ, तेरी बिटिया हूँ मैं।
पड़े रहने देना मुझे,
घर के किसी कोने में।
दे देना मुझे दो सूखी हुई रोटी,
सुबह और शाम के खाने में।
चाह है कि तुम्हारा सिर दबा दूंं बैठ कर,
तुम्हारे सिरहाने में।
इसे हकीकत बन जाने दो बाबा,
जिसे देखा था जन्म से पहले ही सपने में।
आखिर तेरी गोद की नन्ही - सी गुड़िया हूँ मैं।
दो जोड़ा कपड़ा दे देना मुझे,
बदन को ढकने के लिए।
अपनी इज्जत को बचाकर,
इस नन्ही सी जिंदगी बिताने के लिए।
मेरी बस इतनी सी ख्वाहिश है,
और कोई दूजा नही मेरी फरमाइश है।
मुझे जिंदा रहने दो बाबा,
यह मेरी आखिरी दुआ कुबूल कर लो,
अपनी नन्ही सी गुड़िया का,
यह बात तो दिल में भर लो।
बाकी,मैं कुछ कहूँगी नही,
क्योंकि बाबा तेरी बिटिया हूँ मैं।
और इससे ज्यादा कुछ क्यों चाहूँगी,
आखिर तेरे घर के अंगना की चिड़िया हूँ मैं,
बाबा, तेरी बिटिया हूँ मैं।
