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Aman Alok

Romance

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Aman Alok

Romance

तुम्हारा श्रृंगार करता हूँ

तुम्हारा श्रृंगार करता हूँ

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चलो आज मैं फिर से,

तुम्हारा श्रृंगार करता हूँ।

जिंदगी में फिर से,

दिल लगाने पे एतबार करता हूँ।


कहानी जो अधूरी सी रह गई थी,

तेरे जाने से,

आज वो कहानी फिर से लिखने के लिए,

खुद को तैयार करता हूँ।


हाँ, चलो आज मैं फिर से,

तुम्हारा श्रृंगार करता हूँ।

साफ शीशे पे,

ओस कि बूँद डाल कर।


मैं तेरे साथ अपनी नाम को,

उस शीशें कि नमीं पर,

लिखने कि कोशिश,

एक बार नहीं,

हजार बार करता हूँ।


और फिर से उस शीशे पे,

मैं वाष्प दे अपने होठों से,

तेरे नाम में कुछ अपनापन,

महसुस करने कि,

बस ज़रा सा इंतज़ार करता हूँ।


दिल को दिल कि एहसास पाने कि,

ये तरीका जो है ना।

ये तरीका भी अब मैं,

हर बार करता हूँ।


पर जब कहीं तूम इस दिल को,

दो पल के लिए भी नजर ना आती।

तो तेरी दो पल कि गैरमौजूदगी में,

मैं पल-पल में हजार बार मरता हूँ।


और कहानी जो

अधूरी सी रह गई थी,

तेरे जाने से,

आज वो कहानी

फिर से लिखने के लिए,

खुद को तैयार करता हूँ।


चलो आज मैं फिर से,

तुम्हारा श्रृंगार करता हूँ।

जिंदगी में फिर से,

दिल लगाने पे एतबार करता हूँ।


हाँ, चलो आज मैं फिर से,

तुम्हारा श्रृंगार करता हूँ।


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