जूनून
जूनून
जूनून है मुझमें,
आगे बढ़ने का।
संघर्ष का राह में,
आगे चलने का।
खुद को तराश कर,
उस संघर्ष में।
एक अच्छे व्यक्तित्व में,
ढलने का।
हाँ, जूनून है मुझमें,
आगे बढ़ने का
मंझधार का कश्ती में,
एक गोता लगाकर,
अगर मुझे,
असफलता मिलती है,
तो मैं उस असफलता को पा कर,
निराश क्यों रहूँ?
जिंदगी है तब ही संघर्ष है,
और संघर्ष है तब ही सफलता है।
तो फिर मैं सफलता के लिए,
उस संघर्ष का दरिया में,
क्यों ना बहूँ।
हाँ, मैं उस असफलता को पा कर,
निराश क्यों रहूँ?...
मैं फिर से एक बार,
जोश और जूनून के साथ,
उस मंझधार से लड़ूंगा।
एक बार नहीं,
हजार बार कोशिश करूँगा।
कभी ना कभी,
मंजिल करीब आएगी जरूर,
उसी दिन मैं उस मंझधार पर,
खुद फतह हासिल करूँगा।
मैं फिर से एक बार,
जोश और जूनून के साथ,
उस मंझधार से लड़ूंगा।
जब जिंदगी संघर्ष ही है,
तो मैं उस संघर्ष पर विराम क्यों लगने दूँ?
आज मंझधार पार कर आया हूँ,
कल चट्टान पार करूंगा,
यहीं विचार मैं अपने मन में,
हर पल गढ़ने दूँ।
हाँ, मैं उस संघर्ष पर विराम क्यों लगने दूँ?
जब, जूनून है मुझमें,
आगे बढ़ने का।
संघर्ष का राह में,
आगे चलने का।
खुद को तराश कर,
उस संघर्ष में।
एक अच्छे व्यक्तित्व में,
ढलने का।