एक शहर मेरा होगा
एक शहर मेरा होगा
एक शहर मेरा होगा,
जहां पे बस और बस जिक्र तेरा होगा।
मेरे शहर की गलियों में,
तुम्हारे हर एक ख्वाहिशों कि बाजार लगेगी।
वो कानों की बाली और वो हाथों का कंगन,
की बेशुमार प्यार लगेगी।।
बेशकीमती तुम्हारी वो माथे का टीका,
और वो बालों का जुड़ा।
उनकी खुशबू भी मेरे शहर में,
बार-बार लगेगी।।
एक मेरा होगा,
जहां पे बस और बस जिक्र तेरा होगा।
सुरज ढ़लने के बाद,
चााँद के चााँदनी को तुम्हारी झुल्फों में,
समेटे देखने का मुझे इंतज़ार रहेगा।
ओह, ये तारे भी मेरे शहर के,
आशिक बन गए है जो तुम्हारे,
उन्हें भी तुम्हारेअफताब का चमक का दीदार होगा।
और हमशे भी बड़े आशिक निकले,
तुम्हारे होंठों को चुमने वाली ये हवाएं,
शायद उन्हें भी तुमसे प्यार बेशुमार होगा।।
हां, एक शहर मेरा होगा,
जहां पे बस और बस जिक्र तेरा होगा।

