एहसास
एहसास
दरकिनार एहसास को करने चला है दिल,
बंदिशें जज्बात पर जड़ने चला है दिल।
जब इश्क था ही नहीं उन साहिबा को मुझसे,
तो फिर क्यूँ उनके साथ,
मोहब्बत को मुक्कमल करने चला है दिल।
खुमार था मुझ में उनके प्यार का,
जो अब एक हसरत ही बन कर रह गई।
शिद्दत से करना चाहता था
दिल, इश्क उनके साथ,
जो अब दुसवार सी हो कर रह गई।
अब तो बस अफसोस है मेरे दिल में,
क्योंकि जिंदगी भी खुद से बेगानी हो गई।
रफिक भी ना रही वो अब मेरी,
उनके बिन यह एक
अधूरी कहानी हो गई।
फिर भी मैं उनकी तस्वीर को,
अपने तसव्वुर में याद करता हूँ।
पल-पल इश्क के अश्क को,
बस अपने दिल के आहों में भरता हूँ।
हाँ, मैं तसव्वुर में उनकी
तस्वीर को याद करता हूँ।
आखिरी में मोहब्बत आ ही गई,
उस साहिल पर।
जहाँ प्यार को पाना मुश्किल था,
उसे दिल में हासिल कर।
यही वजह है कि;
दरकिनार एहसास को
करने चला है दिल,
बंदिशें जज्बात पर जड़ने चला है दिल।।

