STORYMIRROR

निखिल कुमार अंजान

Tragedy

3  

निखिल कुमार अंजान

Tragedy

भूख...

भूख...

1 min
21K


वो चोर नहीं था

खुद की बेबसी पर उसका जोर नहीं था।


वो अनाथ था

इसलिए समाज मे भी उसका कोई और नहीं था।


लाचारी का मारा था

छोटा सा बालक वो भूख से तड़पता जा रहा था।


रोटी से उसका नाता था

अन्न के लिए वो दर-दर भटकता जाता था।


पेट की आग थी

मिटाने के लिए आँखें बेगानों से भी लगाती आस थी।


उसका कोई ठोर नहीं था

मिटा दे जो भूख वही सगा-संबंधी और उसका दोस्त था।


इक रोटी का इनाम मिला

एवज मे उस बालक ने होटल पे मजदूरी वाला काम किया।


वो कँहा से आया

इस समाज से आया अनदेखा और नजर अंदाज़ किया साया।


कौन था वो,

वो कोई चोर नहीं था भूख पर उसका कोई जोर नहीं था।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy