बहू
बहू

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जरा सुनो घर मैंने अपना त्याग दिया,
आ गई तुम्हारे साथ,
छोड़कर रोते माँ बाप,
थामा तुम्हारा हाथ,
छोड़ कर सारे अरमान,
माँ बाप ने सिखाया अब वहीं तुम्हारा सब कुछ है,
पर यहां आयी तो जाना पैसा सब कुछ है,
तुम्हारी बेवक्त की बेरुखी,
एक घुटन का माहौल,
ससुराल सपनों का महल होता है,
इस जहां में रिश्तों का ऐसा मोल होता है,
चन्द पल कि खुशी की खातिर इतने संघर्ष है,
रिश्तों को जोड़ने की खातिर बहू के कई संघर्ष है,