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S Ram Verma

Romance

3  

S Ram Verma

Romance

भाव भंगिमा !

भाव भंगिमा !

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तुम कांपती सर्दी सी 

और मैं पसीने से 

लथपथ ग्रीष्म सा !


लगभग एक दूसरे 

के विपरीत भाव 

भंगिमा है हमारी !


पर एक दूसरे से 

कुछ ना कुछ तो 

चाहते है हम !


तुम्हें मुझसे प्रेम

की गर्माहट चाहिए 

ताकि तुम अपनी 

ठिठुरती देह को 

तपिश दे सको !


मुझे तुमसे शीत 

की वो लहर चाहिए 

ताकि सूखा सकूँ 

पसीने से लतपथ इस 

ग्रीष्म से देह को !


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