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Saurabh Sood

Tragedy

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Saurabh Sood

Tragedy

बेवफ़ा नाम ही सही

बेवफ़ा नाम ही सही

1 min
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इश्क़ नहीं मुझपे ये तेरा इलज़ाम ही सही,

वफ़ा नहीं हासिल, तो बेवफ़ा नाम ही सही,

अब भी तस्कीं में, दर खुला है घर का,

तू न आये नहीं, आमद-ए-पैग़ाम ही सही।


क्यों ख़्वाहिश-ए-क़ज़ा में, करूँ मैं दिन ग़ुज़र,

ज़िंदगी न ठहरी मुझे, इक इबहाम ही सही,

आ गए हैं हम यहाँ, मगर क़दम कहाँ रुके,

मौत ये ज़िंदगी का, आखिरी मुक़ाम ही सही।


सर झुकाना "शौक़" मेरी फ़ितरत में नहीं है,

मुतक़ाबिल इसमें ग़र्दिश-ए-अय्याम ही सही,

क्यों छोड़ें कि हसरत है, तेरे मिलने की इससे,

ख़ुदाया ये हसरत, ख़्वाहिश-ए-नाक़ाम ही सही।


अपने आशियाँ का हूँ ख़्वाहाँ फिर से नाक़िद,

तेरी नज़र में ये, गोशा-ए-बदनाम ही सही,

क्या मुझपे असर करेगा, तंज़-ए-अहल-ए-जहॉं,

है मुझे सरापा क़ुबूल,बदगुमानी अंजाम ही सही।


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