STORYMIRROR

Saurabh Sood

Drama Fantasy Romance

3  

Saurabh Sood

Drama Fantasy Romance

बातें बनाने में हम

बातें बनाने में हम

1 min
27.9K


वाय-हैरत है ऐतिदाल,

चाहते हैं ज़माने में हम,

खुद से रूठ जाते हैं,

इस दिल को मनाने में हम।


हो यूँ कि खुदाया ग़म की,

न आहात भी सुन सकें,

मसरूफ़ हैं इक गुलिस्तां,

प्यार का बनाने में हम।


हाय ये तक़दीर कि,

आज जान थी मेरी दांव पे,

वर्ना हनोज़ हारे कहाँ थे,

किमारखाने में हम।


है तू भी अब गैरों में,

तुझसे भी पर्दा भला,

वर्ना पशेमाँ कहाँ थे,

ज़ख्म-ए-दिल दिखाने में हम।


इक इंतज़ार तेरा है,

कि मुझे मरने भी नहीं देता,

जलते रहे हैं ताउम्र,

गुलख़न के दहाने में हम।


सरमाया है ज़ीस्त का,

जो पैराहन पे लिए फिरते हैं,

क़ामयाब कहाँ "शौक़",

दाग़ ये भी छुपाने में हम।


उसे भी यक़ीन हो चला,

मेरी मुसर्रत का ख़ुदाया,

लगता है ख़ूब हो गए हैं,

बातें बनाने में हम।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama