बेवफ़ा ज़िन्दगी
बेवफ़ा ज़िन्दगी

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ज़िन्दगी तू तो बेवफ़ा निकली
सँवारा था, सजाया था,
जिसे बड़े शौक से हमने
अरे ये क्या हुआ,
वो तो बड़ी बेहया निकली
टूटे सपनों के महल
काली रात आ गयी
अरी पूर्णिमा,
तू तो अमावस्या निकली
ज़िन्दगी तू तो बेवफा निकली।