बेटी
बेटी
न अपनी माँ की कोख में,
न धरती माँ की गोद में सुरक्षित हूँ,
न अपने घर की चौखट में,
न किसी गलियारे में सुरक्षित हूँ,
हालात कुछ इतने बिगड़े हैं
मेरे शहर की दीवारों के,
के मानो मैं न अपनी
खुद की ही परछाईं में सुरक्षित हूँ।।
न अपनी माँ की कोख में,
न धरती माँ की गोद में सुरक्षित हूँ,
न अपने घर की चौखट में,
न किसी गलियारे में सुरक्षित हूँ,
हालात कुछ इतने बिगड़े हैं
मेरे शहर की दीवारों के,
के मानो मैं न अपनी
खुद की ही परछाईं में सुरक्षित हूँ।।