खुशियां बेच, खुशियां खरीद रही
खुशियां बेच, खुशियां खरीद रही
खुशियां बेच खुशियां खरीद रही..वो बेचती गुब्बारे,
रुआंसे बच्चों की मुस्कान लौटाने,
सुहानी शाम में तम का डर नहीं,
आज चंडी बन चली निवाला लाने,
पालने पेट संतान का, नन्हों को हंसी दिलाने,
खुशियाँ बेच, खुशियाँ खरीद रही,
अपने शिशु के बहाने, यह तो हैं जग कल्याणी,
कर में धरे शस्त्र ब्रहाणी, रज में पालनकर्ता माई ,
जग की दुख हर्ता वरदाई, संसार नतमस्तक तुम्हारे,
वो बेचती गुब्बारे..