मेरे जिस्म से निकल कर, मेरे अमृत से सिंचित होकर, मुझे ही अनचाही कहते हो... मेरे जिस्म से निकल कर, मेरे अमृत से सिंचित होकर, मुझे ही अनचाही कहते हो....
है वो हम सबकी रचनाकार, परिपूर्णता की परिचायक है वो हम सबकी रचनाकार, परिपूर्णता की परिचायक
सुहानी शाम में तम का डर नहीं, आज चंडी बन चली निवाला लाने, सुहानी शाम में तम का डर नहीं, आज चंडी बन चली निवाला लाने,
मां की महिमा न्यारी है । जन्म देने वाली मां । मां की महिमा न्यारी है । जन्म देने वाली मां ।
लक्ष्य को सदा बांधे रखती स्व पर सदा भरोसा रखती। लक्ष्य को सदा बांधे रखती स्व पर सदा भरोसा रखती।
माँ तो बस माँ होती है,माँ की महिमा निराली है l माँ अन्नपूर्णा,सरस्वती,माँ दुर्गा,रमा। माँ तो बस माँ होती है,माँ की महिमा निराली है l माँ अन्नपूर्णा,सरस्वती,माँ दु...