सूरत और सीरत
सूरत और सीरत
खूबसूरत बहुत है तू लेकिन ,सीरत की कच्ची रह गई
बेटी बनकर आई थी घर में, बहु की बहु बनकर रह गई।
अपने माता पिता को तो स्वर्ग सा सुख दे भाई की पत्नी
अपने सास ससुर खटकते हैं ये कैसी हवा बनकर रह गई।
हर घर स्वर्ग सा सुन्दर हो सकता है सास भी मां बन जाए
वृद्धाश्रम नए बन रहे , घर घर की कहानी बनकर रह गई।
जंवाई चाहिए पढ़ा लिखा और बहु पढ़कर करेगी भी क्या
इसी सोच से ह्रास हो रहा , संस्कृति मज़ाक बनकर रह गई।