STORYMIRROR

GOPAL RAM DANSENA

Abstract Tragedy

4  

GOPAL RAM DANSENA

Abstract Tragedy

उनका आना

उनका आना

1 min
415

एक अर्से बाद उनका आना

ठहरे हुए मन में, हलचल मचाना

मैं जानता हूँ या वो जानता है।


गुजरे लम्हें धुंधले हो चले थे

जज्बात आग में क्या क्या जले थे

मैं जानता हूँ या वो जानता है।


चल न सके साथ हम राह बनके

अरमान खाक हुए कई आग बनके

मैं जानता हूँ या वो जानता है।


समझौता भी क्या चीज़ है यारा

हमने कैसे आजमाया उन पर दोबारा

मैं जानता हूँ या वो जानता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract