उनका आना
उनका आना
एक अर्से बाद उनका आना
ठहरे हुए मन में, हलचल मचाना
मैं जानता हूँ या वो जानता है।
गुजरे लम्हें धुंधले हो चले थे
जज्बात आग में क्या क्या जले थे
मैं जानता हूँ या वो जानता है।
चल न सके साथ हम राह बनके
अरमान खाक हुए कई आग बनके
मैं जानता हूँ या वो जानता है।
समझौता भी क्या चीज़ है यारा
हमने कैसे आजमाया उन पर दोबारा
मैं जानता हूँ या वो जानता है।
