इश्क़ का रंग.....
इश्क़ का रंग.....
तुम्हारे इश्क़ के रंग में रंग कर रंग साज हो जाऊं
तेरे बीते कल की याद और आने वाला कल हो जाऊं।
सुना है ईश्वर ने भी धरा पर प्रेम की पराकाष्ठा पाई है
ऐसा तो कहां नसीब में बस चरण धूली को छू पाऊं।
राधा हो पाती हूं या मीरा सा नसीब लिखा है मेरा
मिल के अपने कृष्ण से कहीं रूक्मिणी ही हो जाऊं।