बाल विवाह
बाल विवाह
एक छोटी सी चिड़िया हूं मैं,
अभी तो आसमां में ऊंचा उड़ना है।
मत बांधो मुझे दुनिया की रिवाजों मे,
मेरे कोमल मन को मजबूत बनना है।।
कैसा अजब यह नियम बना दिया,
कोमल फूलों को समाज ने मुरझा दिया।
अभी तो रिश्ते निभाना मुझे आता नहीं,
हाथों में कलम के बजाय झाड़ू थमा दिया।।
मुझे भी कुछ पढ़ लिख लेने दो,
कुछ अटखेलियां मुझे कर लेने दो।
अभी उम्र नहीं है मेरी शादी की,
मुझे तितली बन उड़ लेने दो।।
मेरे बचपन को विराम मत दो,
मेरे पुलकित सपनों को टूटने मत दो।
अपने आंगन की तुलसी बनी रहने दो,
खुद से खुद की पहचान मुझे करने दो।।
बाल विवाह एक बड़ा अपराध,
बच्चों के लिए है यह एक अभिशाप।
मेरी तो पढ़ने-लिखने की उम्र है,
और बाल विवाह एक जुर्म है।।
