बेटी को सम्मान
बेटी को सम्मान
बेटी को मान देना सीखो
स्त्री को सम्मान देना सीखो
जग की जो जननी कहलाती
वर्षा धरा पावन अग्नि कहलाती
सुन लो उसकी भी पुकार
दे दो उसको थोड़ा सा प्यार
परिवार को बांधे हर दम रखती
चुप चाप सब दुख को सहती
सब उससे होते नाराज
फिर भी प्रेम का बजाती साज
उसके आंसू कभी ना बहने दो
डांटो नहीं अब रहने दो
