बेरहम सच्चाई...
बेरहम सच्चाई...
यह बात बिल्कुल सही है कि
आज मेरा वक्त
अच्छा नहीं चल रहा है,
क्यों इस दुनिया में
वक्त तभी बोलता है,
जब आपके पास असीमित
आर्थिक सुविधाएं हों,
नहीं तो यहाँ
बिन रुपये के कुछ भी
हासिल नहीं होता...
चाहे कोई कितनी भी
सामाजिकता की बात करे,
एकता की बात करे,
वास्तविक स्थिति तो
आपके बैंक खातों में
जमा पूंजी पर ही
तय की जाती है --
कोई और दुसरा विकल्प
है ही नहीं...!
(चाहे कोई कितनी भी
भाषणबाजी कर ले...
खोखले प्रवचन दे...
उपदेश दे,
मगर कड़वा सच तो
यही है कि
जब आपकी जेब खाली हो,
तो अक्सर स्वार्थी तत्वों से भरी
दुनिया में हरेक वक्त-का-मारा
बेचारा जद्दोजहद भरी ज़िन्दगी में
मुफलिसी में ही अपना दम
तोड़ देता है...!!!
जब आपका
बुरा वक्त चल रहा हो,
तो ज़रा गौर कीजिएगा --
वो तथाकथित
जाने-पहचाने दुनियावालों
का रवैया ही न जाने
कैसे बदल जाता है...!!!
अरे भाई, यहीं से कलियुग की
असली पहचान होती है...
इसीलिए तो बड़े-बुजुर्गों ने कहा हैः
"आनेवाले कल के लिए थोड़ी पूंजी
जमा करते जाओ, वरना..."!!!
