बेनाम सा रिश्ता
बेनाम सा रिश्ता
हर रिश्ते को नाम नहीं दिया जाता।
दिल से दिल का जुड़ा होता नाता।
कभी हमें अपने दिल की सुनाता।
फिर हमें हमारे दिल की बताता।
बस ऐसे ही है रिश्ता निभाते जाता।
मिल कर भी ख़ुद को अधूरा पाता।
जब हो ज़िंदगी में उस जैसा फ़रिश्ता।
बहुत ख़ूबसूरत लगे बेनाम सा रिश्ता।