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Shivangi Dixit

Tragedy

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Shivangi Dixit

Tragedy

बड़ी उदास है धरती आज

बड़ी उदास है धरती आज

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बड़ी उदास है धरती आज 

जिस भूमि से जन्मी सीता 

उसी भूमि में नहीं सुरक्षित बेटी आज 

पहुँच चुकी है चाँद पे दुनिया 

पहुँच चुकी है मंगल पर 

फिर भी आबरू बचा नहीं पा रही

देखो कितने निष्फल आज 


हुए देश की आज़ादी को बहुत साल 

फिर भी आज़ाद नहीं है बेटियाँ आज 

जिससे भूमि से जन्मी सीता 

उसी भूमि में नहीं सुरक्षित बेटी आज 

हमने नारी के समान में की महाभारत 

जला दी रावण की लंका 

उसी नारी को इंसाफ़ के लिए करना पड़ता है इंतज़ार आज 

है हैरान धरती भी 

पूछती है 

क्यों जलाते हो राम बन के रावण हर विजयदशमी

जब हर घर में पाल रखा है रावण आज 

जिससे भूमि से जन्मी सीता 

उसी भूमि में नहीं सुरक्षित बेटी आज

बड़ी उदास है धरती आज


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