STORYMIRROR

Shivangi Dixit

Abstract

3  

Shivangi Dixit

Abstract

अधे अधूरे रिश्ते

अधे अधूरे रिश्ते

1 min
294

इन अधे अधूरे रिश्तों में 

कुछ ख्वाब मेरे अधूरे हैं।

कुछ बातें मेरी अधूरी हैं 

कुछ वादे तेरे अधूरे हैं।

हवाओं में भी वो बात कहां

अब इन में तेरे होने

का एहसास कहां 

मेरा प्यार अधूरा था 

तेरी नफरत अधूरी थी।

इन आधे अधूरे रिश्तों में 

मेरा होना लाजमी था

और तेरा खोना लाजमी था

तेरे इश्क में मेरा टूट के

बिखरना लाजमी था

और तेरा मजबूर होना भी लाजमी था।

तुझे पाऊं तो भी अधूरी में 

तुझे चाहूं तो भी अधूरी में

इन अधूरे रिश्तों का अधूरा

होना तो लाजमी है था

इन अधे अधूरे रिश्तों में

कुछ ख्वाब मेरे अधूरे है।

             


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract