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Shivangi Dixit

Tragedy

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Shivangi Dixit

Tragedy

अब दिल नहीं लगता

अब दिल नहीं लगता

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वो दिल लगाकर मुझसे कहता है 

अब दिल नहीं लगता 

इतना वक़्त बिताने के बाद कहता है 

अब वक़्त नहीं मिलता 

सज्जा कर लाया था प्यार दरवाज़े पर मेरे 

अब कहता है,

आशिक़ी में मन नहीं लगता 

वो घर के मेरे अक्सर चकर काटा करता था 

अब कहता है,

तेरे घर का रास्ता नहीं मिलता 

वो हाथ पकड़ कर मेरा भूत से वादे करता था 

अब कहता है, 

उनने वादों का पूरा होना संभव नहीं लगता 

तोड़कर हर हद्द उसने मुझसे इश्क़ जताया था 

अब कहता है, 

मेरा अब कोई हक़ नहीं बनता 

वो दिल लगाकर कहता है 

अब दिल नहीं लगता। 


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