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Shivangi Dixit

Romance

4  

Shivangi Dixit

Romance

अब दिल नहीं लगता

अब दिल नहीं लगता

1 min
4

वो दिल लगाकर मुझसे कहता है 

अब दिल नहीं लगता 

इतना वक़्त बिताने के बाद कहता है 

अब वक़्त नहीं मिलता 

सजा कर लाया था प्यार दरवाज़े पर मेरे 

अब कहता है,

आशिक़ी में मन नहीं लगता 

वो घर के मेरे अक्सर चककर काटा करता था 

अब कहता है,

तेरे घर का रास्ता नहीं मिलता 

वो हाथ पकड़ कर मेरा भूत से वादे करता था 

अब कहता है, 

उन वादों का पूरा होना संभव नहीं लगता 

तोड़कर हर हद उसने मुझसे इश्क़ जताया था 

अब कहता है, 

मेरा अब कोई हक़ नहीं बनता 

वो दिल लगाकर कहता है 

अब दिल नहीं लगता 


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