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Shivangi Dixit

Abstract

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Shivangi Dixit

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मेरे अंदर शोर बड़ा है

मेरे अंदर शोर बड़ा है

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मेरी मुस्कुराहट में सुकून देखते हो 

मेरे अंदर शोर बड़ा है ।

मुझे चमकता हुआ देखते हो 

मेरे अंदर अंधेरा बड़ा है ।

मेरा नाम होता देखते हो 

मेरे अंदर गुम नामी का समा है ।

मैं शांत दिखता हूँ समुंदर जैसा 

मेरे अंदर भी लहरों का तूफ़ान खड़ा है ।

कभी मिलो तो बताएंगे तुम्हें 

की मेरे अंदर का ज़ख़्म आज भी हरा है । 

वो जो मेरी मुस्कुराहट में सुकून देखते हो तुम 

मेरे अंदर शोर बड़ा है ।

 


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