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Shivangi Dixit

Others

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Shivangi Dixit

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मेरी माँ के घर एक झूला है

मेरी माँ के घर एक झूला है

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मेरी माँ के घर एक झूला है 

और उसने हर मौसम देखा है 

आँधी पानी सर्दी गर्मी 

उस झूले में हमारी इच्छाओं को उमड़ते देखा है 

और हमारी इच्छाओं को मरते देखा है 

मेरी माँ के घर एक झूला है 

और उसने हर मौसम देखा है 


देखा उसने मेरी बड़ी माँ का ग्रह प्रवेश 

उनकी खिलखिलाती हँसी 

हर बात पर हंसी उड़ने की आदत 

देखा उसने उनका बढ़ता परिवार 

और वो दिन भी देखा जब उठी उनकी अर्थी

मेरी माँ के घर एक झूला है 

और उसने हर मौसम झेला है 


उसने देखा मेरी माँ का आना 

एक अनोखा सा रिश्ता सबसे बनना 

उसने मुझे आते देखा 

मुझे घर से विदा होते देखा 

उसने देखा है मेरे माता पिता का संघर्ष 

और देखा है रिश्तों में समर्पण 

मेरे माँ के घर एक झूला है 

और उसने हर मौसम झेला है 


ना जाने कितने वर्षों का दुख सुख देखा है 

उसने हर पीढ़ी को आगे बढ़ते देखा है 

देखा उसने मेरी बेटी का आना

उसमें बैठने की ज़िद्द करना 

अब बूढ़ा हो चला है वह झूला भी 

मेरी माँ के घर एक झूला है 

और उसने हर मौसम झेला है।


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