बारिश-2
बारिश-2


बारिश के इस मौसम में
आओ थोड़ा रूमानी हो जाएं
झंकृत जो कर दे तन और मन को
रिमझिम की लड़ियों से वो वीणा बजाएं
ओढ़ के वो मिट्टी की सौंधी सी ख़ुशबू
गिरती हुई बूंदों के अल्फ़ाज़ों की गुफ़्तगू
कुछ तुम समझो कुछ हम सुनाए
वो जो कम हो गया था झीलों का पानी
उफनते अरमानों से उसको बढ़ाएं
कशमकश न हो कोई कहीं दुनियादारी की
इंद्र के धनुष से बाण प्रेम के चलाए
हो जाने दे गुम मिल के दो हस्तियों को
भीगे से शामियाने तले एक शमा जलाएं
आओ थोड़ा रूमानी हो जाएं।