अर्ज किया है-2
अर्ज किया है-2
हम तो कह के बदनाम हुये,
चुप रहते तो कुछ तो नाम होता
इल्म जन्नत का है मगर जहन की तलाश अभी जारी है
मुक्कमल मोज है मगर इन्तेहा सर्हदो की मुन्तजिर नहीं
जिन्दगी सुकून से बसर हो गर तमाम
आरजू कि हद्दे इन्तेह मुकर्अर हो जाये
बस ये ख्वाबों का दखले अन्दाज
ख्वहिशों को बेकाबू न करे
कलम और दवात तो फनह हो गये
अब कैसे कोई दिल के एह्सास ब्यान करे
कैसा यह तन्हाई का आलम है
अब तो हवा भी शोर सी लग्ती है।
क्य हसीन मन्जर हो गर ये बेलगाम
जिन्दगी हमरे इशारे की तामील करे
जहनी फितरत कौन समझा है,
हम तो उम्मीद पर दावा करते हैं।