अपने गम छिपाना
अपने गम छिपाना
अपने गम छिपाना आता है
पथरीली राहों पर चलना आता है।
दुख जीवन में देखे है बहुत
सुख पे इतराना हमें आता है।
नींद भले ही नहीं आती है
पर करवट बदलना आता है।
खाई है ठोकरें भी बहुत
मंजिल को पाना अब आता है।
मुरादें कुछ बाकी है अभी
उनको दफनाना हमें आता है।
हंसी के पल मिले है कम
थोड़ा मुस्कुराना अब आता है।
हर बार मंजिल मिलती नहीं
अपनी किस्मत पे यकीन आता है।