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Dr. Poonam Gujrani

Abstract

4  

Dr. Poonam Gujrani

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बहुरिया

बहुरिया

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लेकर अपना प्यार

बहुरिया

आना मेरे द्वार।


जानती हूं 

नाजों से पली हो

फूलों की डगर पर

हमेशा चली हो

मां ने खिलाया है 

मनुहार से हर कौर


तुम्हारे जगने से 

होता थी 

आंगन में भोर

अब

मेरे आंगन को

तुम्हारा है इंतजार

बहुरिया 

आना मेरे द्वार।


झुकी झुकी सी तेरी पलकें

कहती हैं सपनों की कहानी

दादी ने सुनाई होगी

एक था राजा एक थी रानी

तुम्हारे लिए 

आगे की डगर अनजानी


पर,

अब मेरा आंगन  

तुम्हारे लिए है तैयार

बहुरिया 

आना मेरे द्वार।


मैं बहु की डगर चलकर ही

आज बनी हूं सास

मेरे भीतर भी है

मां जैसे ही अहसास

बताना है बस इतना

कर्त्तव्यों की डगर चलकर ही 

मिलते हैं सारे अधिकार

बहुरिया

आना मेरे द्वार।


तुलसी का बिरवा बनकर

अपने आंगन में रहना

कुछ कह देना

कुछ सह लेना

अपना लेना 

इस परिवार के संस्कार

बहुरिया 

आना मेरे द्वार।


तुम और मैं

मैं और तुम 

रहेंगे हम बनकर

सपनों को देंगे आकर

बहुरिया 

आना मेरे द्वार।


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