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Meera Ramnivas

Abstract

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Meera Ramnivas

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बेटी

बेटी

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घर में बेटी न हो तो

चिंतित रहते हैं कुछ लोग

घर में बेटी हो तो

चिंतित रहते हैं कुछ लोग

बेटी जन्म लेती है,  

लक्ष्मी का रूप मान

खुश होते हैं कुछ लोग

बेटी जन्म लेती है

पराया धन मान

नाखुश होते हैं कुछ लोग

बड़ी होती जाती हैं बेटियाँ ,

मर्यादा ओढ़ती जाती हैं बेटियां

बेटी स्वस्थ, सुंदर हो

मां पिता को खुशी होती है। 

कद काठी बढ़ते ही,  

विवाह की चिंता होती है।  

बेटी के घर वर का

ख्याल आने लगता है

छोड़ जाएगी घर आंगन

यथार्थ सालने लगता है

स्कूल कालेज से घर पहुँचने में, 

तनिक सा अंतराल

चिंता का कारण बनता है।

 

बेटी की प्रतीक्षा में,

मन दरवाजे पर टंगे रहता है।  

शादी की शहनाई से, 

आंगन खुशी से झूम उठता है। 

विदाई की बेला में, 

मां बाप का कलेजा कांप उठता है।   

भेज कर पराये देश दिल के टुकड़े को

आते जाते रहने की कामना करते हैं

रोप कर पराई जमीं पर पौधे को

हरा भरा होने की कामना करते हैं 

फले फूले बेटी का घर संसार

दुआ सदा करते हैं,

आती रहे पीहर बार बार 

दुआ सदा करते हैं 

आंखों से ओझल होकर

बेटी दिल के करीब रहती है 

ससुराल की मां बहू पत्नी

बेटी बन पीहर लौटती है।।



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