मेरा बसंत
मेरा बसंत


मन बसंत तो हर दिन बसंत है
मन बसंत तो चहुं दिश बसंत है
एक बसंत मन में खिलता है
मन जब सबसे प्रेम से मिलता है
नींद से जगाती हर भोर मेरा बसंत
मुझे मिली हर नई सुबह मेरा बसंत
निर्भय फलता फूलता जंगल बसंत है
पूछते हैं अपने कुशल मंगल बसंत है
ऋतुराज बसंत तो चंद दिन रहता है
मन का बसंत तो हर दिन रहता है
ऋतुओं में मैं बसंत हूं श्रीकृष्ण कहते हैं
श्रीकृष्ण की याद को बसंत कहते हैं
खुद बसंत बनो महको खुशबू बिखेरो
सबको बांटो बसंत खुशियां बिखेरो
प्रेम भाईचारे के फूल खिलना बसंत है
मन को सहज सरल रखना बसंत है।।