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Meera Ramnivas

Abstract

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Meera Ramnivas

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मरुद्यान मरुस्थल

मरुद्यान मरुस्थल

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सुख दुख रुपी

मरुद्यान मरुस्थल 

जीवन में आते जाते

 उद्वेलित उमंगित 

जीवन को कर जाते 

त्योहारों को हर कोई 

अपनों संग मनाना चाहता है

 त्योहारों पर हर कोई 

अपने घर जाना चाहता है

 बचपन का घर आंगन बुलाता है

 मां पिता का उदास चेहरा बुलाता है 

 अपनों से खुशियां अपार मिलती हैं

 बड़े बुजुर्गो से दुआएं मिलती हैं।

ये छोटे छोटे जल स्त्रोत से सुख

जीवन को मरूद्यान बना देते हैं।

 चौपाल पर बैठ सब बतियाते हैं।

 गांव भर की खैर खबर सुनाते हैं।

 कमला काकी की कमर झुक गई है

 उनकी बहू घर छोड़ कर चली गई है

सरुप चाचा की आंखों में लाचारी है

 दहेज बिन बेटी अबतक कंवारी है।

 ये सूखे जलस्त्रोत से दुःख

जीवन को मरुस्थल बना देते हैं ।।

    



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