अनुभूति
अनुभूति
न चाहो मुझे,
तुम्हारे बस में हो अगर
न मिलो मुझसे,
ठीक समझो यदि तुम
मुस्कुरा के भी चाहे,
ना देखो मेरी ओर कभी
एक सुखद अनुभूति से,
वंचित न करो मुझे मगर;
दर्द इतना न दो कि...
कोई भी दर्द, दर्द ना रहे!!
न चाहो मुझे,
तुम्हारे बस में हो अगर
न मिलो मुझसे,
ठीक समझो यदि तुम
मुस्कुरा के भी चाहे,
ना देखो मेरी ओर कभी
एक सुखद अनुभूति से,
वंचित न करो मुझे मगर;
दर्द इतना न दो कि...
कोई भी दर्द, दर्द ना रहे!!