अनकही बातें
अनकही बातें


पनाह
इज़ाज़त
हिफ़ाजत
इज्जत
ये सारे अल्फ़ाज़ शायद
तुमने मेरे लिए बनाये है
हज़ारों औरतें को इनकी
जरूरत पड़ जाएं इसलिए
इनको किताबों और डिक्शनरी
में भी लिख रखे हैं
अब भी तुम्हारा यह कहना
की तुम आज़ाद हो
तुम्हे इजाजत की जरूरत नहीं है
मुझे तुम्हारा एक और झूठ लगता है
तुम मेरी इज्जत हो
इसलिए की मेरी हिफ़ाजत में हो
यह मुझे तुम्हारा अहसान लगता है
मैंने कभी पनाह माँगी थी तुुमसे
इस बात को तुम बखूबी जानते हो
आज मुझे अपनी मिल्कियत कह रहे हो
कुछ दर्द सबसे कहे नही जाते है
खामोश रहकर ही सहे जाते है
यह दर्द भी कुछ ऐसा ही है
हाँ,मैंने मौसमों को बदलते देखा है
और हालातों को भी......