समझौता
समझौता
या ने एक वादा अपनेआप से
एक हुकूम खुद से, एक मुलाक़ात सच्चाई से
एक पहरेदारी खुद के दिल पर
और चाहत की हुकूमत से हमेशा हमेशा के लिये
अलविदा करने की एक दिखावे की कोशिश….. याने समझौता….
कितने मायने निकाले जाये इन चार अक्षरों से बने छोटे से शब्द के…..
अपने दिल पर हज़ारों तीर चलाने के बाद सॉंस लेने की कोशिश होता है समझौता….
ख़ुशी का मुखौटा पहन कर की गई ख़ुदकुशी की साज़िश होता है समझौता
दूसरों की या फिर अपनों की ख़ुशी की ख़ातिर किया गया समर्पण याने समझौता…
……..तो …. अब
मैंने समझौता क्या होता है से जान भी लिया
और ज़िंदगी से समझौता आख़िर कर ही लिया…
मगर फिर भी जाने क्यूं ……
दिल के बहुत भीतर तक एक तूफ़ान सा है… जो कि थमने का नाम नहीं ले रहा….
मौजें उठती हैं …. उछल उछल कर आँखों से छलक उठती हैं और
अपनी पुरानी ज़िंदगी के लिये गिड़गिड़ाती रहती हैं ….
इस तूफान को कैसे सम्हाला जाये ?
कोई तो ऐसी दुवाएं होंगी जो जान में जान डाल दें ?
जो थोड़ी सांसें दे जाये ?